मौलाना आज़ाद राष्ट्रीय उर्दू विश्वविद्यालय ने उर्दू पत्रकारिता में अनुसंधान को मजबूत करने के लिए भारतीय जनसंचार संस्थान के साथ किया समझौता

हैदराबाद 5 मई ( पीआईबी), मौलाना आज़ाद राष्ट्रीय उर्दू विश्वविद्यालय , हैदराबाद ने ज्ञान, संसाधनों और अनुसंधान गतिविधियों को साझा करने के लिए भारत के प्रमुख पत्रकारिता संस्थान - भारतीय जनसंचार संस्थान, नई दिल्ली के साथ समझौता किया है। समझौते पर प्रोफेसर सैयद ऐनुल हसन, कुलपति, मानू और प्रोफेसर संजय द्विवेदी, महानिदेशक, आईआईएमसी ने आईआईएमसी में आयोजित एक औपचारिक समारोह में हस्ताक्षर किए। एमओयू का स्वागत करते हुए, प्रो. ऐनुल हसन ने क्लस्टर सिस्टम पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता पर बल दिया जहां दो संस्थान संयुक्त कार्यक्रम चला सकते हैं और संयुक्त डिग्री प्रदान कर सकते हैं। उन्होंने आशा व्यक्त की कि दाेनाें निश्चित रूप से इस दिशा में सोचेंगे।
उन्होंने आश्वासन दिया कि मौलाना आज़ाद राष्ट्रीय उर्दू विश्वविद्यालय ऐसे किसी भी प्रयास में हर संभव मदद सुनिश्चित करेगा। प्रो. संजय द्विवेदी ने अपने संबोधन में कहा कि समझौता ज्ञापन से आईआईएमसी के उर्दू छात्रों को मानू में पत्रकारिता और जनसंचार में स्नातकोत्तर करने में मदद मिलेगी। हालांकि उर्दू मीडिया की वैश्विक उपस्थिति है, लेकिन इसे डिजिटल दुनिया पर अपने क्षितिज का और अधिक विस्तार करने की आवश्यकता है। अनुवाद भी इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। प्रो. एस के इश्तियाक अहमद, रजिस्ट्रार ने समझौता ज्ञापन को भारत में उर्दू पत्रकारिता को बढ़ावा देने के लिए एक ऐतिहासिक कदम बताया। उन्होंने उम्मीद जताई कि मौलाना आज़ाद राष्ट्रीय उर्दू विश्वविद्यालय के छात्र काफी हद तक लाभान्वित होंगे। अवसर पर प्रो. एहतेशाम अहमद खान, डीन, जनसंचार एवं पत्रकारिता स्कूल, मानू, प्रो गोविंद सिंह, डीन अकादमिक, आईआईएमसी, प्रो. प्रमोद कुमार, विभागाध्यक्ष, उर्दू पत्रकारिता विभाग, आईआईएमसी, सुश्री रुचिका केम, क्षेत्रीय निदेशक, दिल्ली केंद्र, मौलाना आज़ाद राष्ट्रीय उर्दू विश्वविद्यालय और अन्य संकाय सदस्य भी उपस्थित थे। समझौता ज्ञापन से दोनों संगठनों को पारस्परिक रूप से लाभ होगा।

वे अकादमिक और/या शोध कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए दोनों पक्षों के संकाय सदस्यों की पहचान करेंगे और उन्हें आमंत्रित करेंगे और प्रशिक्षण/क्षमता निर्माण के लिए संकाय सदस्यों का आदान-प्रदान भी करेंगे। तीन साल के लिए वैध समझौता ज्ञापन, संकाय, गैर-शिक्षण कर्मचारियों के सदस्यों, शोध विद्वानों और छात्रों के आदान-प्रदान के साथ-साथ दस्तावेज़ीकरण, वैज्ञानिक जानकारी और प्रकाशनों के आदान-प्रदान द्वारा ज्ञान की उन्नति की सुविधा प्रदान करेगा। यह छात्रों की इंटर्नशिप और गतिशीलता की रुचि को भी सुविधाजनक बनाएगा और अनुसंधान परियोजनाओं के संयुक्त कार्यान्वयन का कार्य करेगा। साथ ही सम्मेलनों, संगोष्ठियों, कार्यशालाओं और बैठकों का आयोजन और अध्ययन के संयुक्त कार्यक्रम विकसित करना उद्देश है।