निम्समे में नराकास-1 की हिन्दी कार्यशाला संपन्न

हैदराबाद 15 दिसंबर ( प्रतिनीधी),  केंद्रीय चर्म रोग यूनानी चिकित्सा एवं अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद द्वारा संचालित नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति (केंद्र सरकार के कार्यालय-1), हैदराबाद के समन्वयन में यूसुफगुड़ा स्थित राष्ट्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम संस्थान (निम्समे) में हिन्दी कार्यशाला का आयोजन 14 दिसम्बर 2021 को दोपहर 3.00 से सायं 5.30 बजे तक किया गया। हिन्दी अधिकारियों तथा हिन्दी अनुवादकों के लिए आयोजित इस कार्यशाला में समिति के सलाहकार डॉ. विष्णु भगवान ने सहभागियों का मार्गदर्शन किया। कार्यशाला का शुभारंभ राष्ट्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम संस्थान के हिन्दी अनुवादक डॉ. शिरीष प्रभाकर कुलकर्णी द्वारा समिति के सभी पदाधिकारियों के साथ ही विभिन्न कार्यालयों के उपस्थित हिन्दी अधिकारियों तथा अनुवादकों के स्वागत के साथ हुआ। इसके बाद निम्समे के निदेशक डॉ. संदीप भटनागर ने कार्यशाला के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए इस आयोजन के लिए नराकास को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि नराकास के लिए निम्समे की ओर से लगातार सहयोग दिया जा रहा है और भविष्य में भी यह जारी रहेगा। उन्होंने नराकास-1 की ओर से राजभाषा हिन्दी के प्रचार और प्रसार के लिए किये जा रहे प्रयासों की सराहना करते हुए सदस्य कार्यालयों के राजभाषा अधिकारियों तथा अनुवादकों के लिए आयोजित कार्यशाला को महत्वपूर्ण बताया।समिति की सदस्य सचिव और केंद्रीय चर्म रोग यूनानी चिकित्सा अनुसंधान संस्थान की अनुसंधान अधिकारी डॉ. अर्जीना ज़बीन ने राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार के लिए समिति की ओर से किये जा रहे प्रयासों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि नराकास का मुख्य उद्देश्य सदस्य कार्यालयों को रोजमर्रा के कार्यालयीन कामकाज में आने वाली कठिनाइयों को सुलझाकर राजभाषा हिन्दी का कार्यान्वयन आसान बनाना है। इस दिशा में समिति द्वारा लगातार आवश्यक सहयोग किया जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि राजभाषा विभाग द्वारा सौंपी गई जिम्मेदारी का सक्षमता के साथ निर्वाह करना ही हमारा लक्ष्य है। उन्होंने राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में समिति के अधीनस्थ सभी कार्यालयों से सहयोग की भी आवश्यकता जताई। समारोह को संबोधित करते हुए समिति के अध्यक्ष और केंद्रीय चर्म रोग यूनानी चिकित्सा अनुसंधान संस्थान के निदेशक एवं प्रभारी डॉ. अहमद मिन्हाजुद्दीन ने आयोजित कार्यशाला के लिए निम्समे की ओर से दिये जा सहयोग के प्रति धन्यवाद व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि नराकास ने सभी सदस्य कार्यालयों में राजभाषा हिन्दी का प्रभावी कार्यान्वयन साकार करने के लिए योजना बनाई है। इसके अन्तर्गत समिति सभी सदस्य कार्यालयों से सम्पर्क कर उनकी सक्रियता बढाने की कोशिश करेंगी। उन्होंने यह भी कहा कि कार्यालयीन कामकाज में राजभाषा हिन्दी के कार्यान्वयन का लक्ष्य साध्य करने  के लिए सभी केंद्र सरकार के कार्यालयों के कर्मचारियों को हर दिन कम से कम एक पन्ना हिन्दी में लिखना चाहिए। उन्होंने समिति के सलाहकार और कार्यशाला के विषय-विशेषज्ञ डॉ. विष्णु भगवान की सेवाओं की सराहना की और उनके मार्गदर्शन का लाभ उठाने का उपस्थितों से आग्रह किया। इस अवसर पर सहभागियों को संबोधित करते हुए समिति के सलाहकार डॉ. विष्णु भगवान ने कहा कि सभी केंद्र सरकार के कार्यालयों के अधिकारियों और कर्मचारियों को अपने दैनंदिन कामकाज में हिन्दी का उपयोग राजभाषा विभाग के दिशा-निर्देशों के अनुसार करना चाहिए। उन्होंने केंद्रीय चर्म रोग यूनानी चिकित्सा अनुसंधान संस्थान की अध्यक्षता में गठित नराकास को आगे बढाने में सभी सदस्य कार्यालयों के सक्रिय सहयोग की आवश्यकता जताई। उन्होंने कहा कि राजभाषा हिन्दी का कार्यान्वयन चिकित्सा जैसे क्षेत्रों में आसानी से किया जा रहा है। उन्होंने केंद्रीय चर्म रोग यूनानी चिकित्सा एवं अनुसंधान संस्थान द्वारा अपने रोजमर्रा के कामकाज के साथ ही अन्य क्षेत्रों में हिन्दी के किये जा रहे उपयोग की सराहना की।

कार्यशाला के अंतर्गत डॉ. विष्णु भगवान ने संसदीय राजभाषा समिति द्वारा किये जाने वाले निरीक्षण की प्रश्नावली में शामिल सवालों और उनका उत्तर देते समय बरतने योग्य सावधानियों के बारे में भी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि दी जाने वाली जानकारी के बारे में हमें आवश्यक दस्तावेज सुनिश्चित करने चाहिए। उन्होंने राजभाषा विभाग के निर्देशों के अनुसार कार्यालय के कर्मचारियों के प्रशिक्षण, कार्यालय को राजभाषा नियम 10 (4) अन्तर्गत अधिसूचित करना, राजभाषा अधिनियम की धारा 3(3) और राजभाषा नियम 1976 के नियम 5 का शत-प्रतिशत अनुपालन करने और संबंधित दस्तावेजों की प्रस्तुति को सुनिश्चित करने, कार्यालयों में उपयोग में लाये जाने वाले फॉर्मों का द्विभाषीकरण, सेवा पुस्तिकाओं और कार्यालयों में उपलब्ध रजिस्टरों में द्विभाषी प्रविष्टियाँ, विज्ञापन तथा हिन्दी पुस्तकों की खरीदी पर निर्धारित लक्ष्यों के अनुसार व्यय, कार्यालयों के अनुभागों के निरीक्षण आदि पहलुओं की विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने राजभाषा अधिकारियों और कार्यालय प्रमुख अथवा विभागाध्यक्ष के दायित्वों पर भी प्रकाश डाला।कार्यशाला के अंत में भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण प्रशिक्षण संस्थान, हैदराबाद के सहायक निदेशक (राजभाषा) श्री एस. ए. शुकूर ने सभी के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया।