हैदराबाद 11 अक्तूबर ( प्रतिनीधी), तेलंगाना सरकार ने बार-बार छोटे, मध्यम और क्षेत्रीय दैनिक और पत्रिकाएं काे धाेखा देने के कारण तेलंगाना स्माॅल, मिडीयम व मैगजीन संघ केअध्यक्ष यूसुफ बाबू ने साेमाजी प्रेस कल्ब मे में हुजुराबाद के उप-चुनाव में भाजपा के ईटेला राजेंदर के समर्थन गेने की घाेषणा की। तेलंगाना राज्य की स्थापणा के लिए तेलंगाना आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले पत्रकारों के आत्मसम्मान को दिन-ब-दिन नुकसान होता जा रहा है। तेलंगाना आंदोलन में बड़े पैमाने पर भाग लेने के अलावा, छोटे, मध्यम और क्षेत्रीय दैनिक और पत्रिकाएं, जो हर दिन तेलंगाना आंदोलन के समाचारों को लाेगाें तक पहुचाने का महत्वपूर्ण काम किया। तेलंगाना राज्य के गठन के बाद से क्षेत्रीय समाचार पत्रों का अस्तित्व सवालों के घेरे में है। सरकार के रवैये से क्षेत्रीय पत्रिकाओं के हजारों संपादक कर्ज में डूब गए है। तनावग्रस्त हाेने से कई बीमारी से ग्रसित हैं। कई की जानें चली गईं। 2018 के चुनावों के बाद क्षेत्रीय समाचार पत्राें की स्थिति बहुत खराब हो गई है।
सूचना विभाग के कार्यालय से छोटी और मध्यम आकार की पत्रिकाओं के विज्ञापन नियमित रूप से देने बंद हाे गए। तेलंगाना राज्य बनने के बाद अखबारों में उचित विज्ञापन नहीं देने के कारण उन्हें कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि 2018 के बाद से पत्रिकाएं पिछले तीन वर्षों से चल रही हैं, नियमों में कहा गया है कि उन्हें महीने में 25 दिन सूचना विभाग के कार्यालय में देना चाहिए। लेकिन विज्ञापन नहीं दिए जाते। जिलों में विभिन्न विभागों, स्थानीय निकायों, निगमों और मंदिरों को सीधे प्रेस को कोई विज्ञापन नहीं देने, बल्कि सूचना आयुक्त कार्यालय के माध्यम से सीधे जिला कलेक्टरों और विशेष कलेक्टरों को भूमि अधिग्रहण नोटिस जारी करने का भी निर्देश दिया गया है। यह क्षेत्रीय प्रेस के साथ एक बड़ा अन्याय है। इस मामले में मुख्यमंत्री कलवाकुंतला चंद्रशेखर राव तथा सत्ताधारी दल के महत्वपूर्ण मंत्रियों और नेताओं को कई याचिकाएं दी । सूचना आयुक्त से लेकर सभी अधिकारियों से अपील की है। सरकार को अपनी दुर्दशा से अवगत कराने के लिए कभी-कभी हमने धरना और प्रदर्शन भी किया। सरकार उनकी पार्टी से संबंधित पत्रिकाओं को, उनके अनुकूल एक या दो पत्रिकाओं को ही विज्ञापन दे रही है । विशेष रूप से भूमि अधिग्रहण के विज्ञापन कम रेटिंग वाली पत्रिकाओं के स्थान पर हजारों रुपये की दर से पत्रिकाओं को दिए जा रहे हैं। लंबे समय तक पत्रकारिता के पेशे में विश्वास रखने वाले और ईमानदारी से काम करने वालों की की अवहेलना की जा रही है। अन्य कोई काम नही कर पा रहे हैं और लेकर छोटी-छोटी पत्रिकाओं और यूट्यूब चैनलों पर गुजारा कर रहे हैं। हालांकि तेलंगाना मीडिया अकादमी द्वारा कुछ कल्याणकारी कार्यक्रम चलाए गए हैं, लेकिन वे बचे लोगों के लिए किसी काम के नहीं हैं। केवल कुछ हद तक बीमारों और मृतकों के लिए उपयोगी है। दुर्भाग्य से, हमारे स्वर्णिम राज्य तेलंगाना में राज्य के गठन के बाद से कोई महत्वपूर्ण विभाग जनसंपर्क के लिए काई मंत्री या नियमित आयुक्त नहीं हैं। सब कुछ प्रभारी देख रहा है।
मंत्री कलवाकुंतला तारक रामाराव ने कई मौकों पर प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि मैं पत्रकारों की समस्याओं को हल करने के लिए सूचना मंत्री हूं। लेकिन उनकी शाखाएं, जिम्मेदारियां, पार्टी के मामले हमेशा व्यस्त रहते हैं। इन सात वर्षों में कई बार आश्वासन दिया कि क्षेत्रीय प्रेस की समस्याओं और पत्रकारों की समस्याओं का समाधान किया जाएगा लेकिन परिणाम नहीं देखा गया। जलाविहार में 7 मार्च को हजारों पत्रकारों की मौजूदगी में प्रेस वार्ता में कई आश्वासन दिए गए, कोई लागू नहीं किया। चर्चा नहीं की गई। कोरोना काल में पत्रकारों, विशेषकर जोनों, निर्वाचन क्षेत्रों और जिला केंद्रों में काम करने वालों, फोटो और वीडियो पत्रकारों, छोटे और मध्यम आकार के समाचार पत्रों और पत्रिकाओं के संपादकों को कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। सरकार ने विभिन्न क्षेत्रों को सहायता प्रदान की है। अधिवक्ताओं को आर्थिक सहायता प्रदान की। लेकिन पत्रकार काे नही। सभी पत्रकार संघों ने मुख्यमंत्री केसीआर से शिकायत की लेकिन जवाब आया कि कुछ वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी। आज तक कोई सहायता नहीं की। क्या तेलंगाना वाकई हमारा सुनहरा तेलंगाना है ? हाेने का सवाल संघ के अध्यक्ष युसूफ बाबू ने किया। आगामी हुजूराबाद चुनाव में संघ तेरास के खिलाफ काम करने की घाेषणा की है। अवसर पर संघ के सभी पदाधिकारी उपस्थीत थे।