हैदराबाद, 13 जनवरी, राचकोडा की साइबर अपराध पुलिस ने ऑनलाइन लोन ऐप की आड़ में ठगी के मामले में एक और चीनी नागरिक एचई जियान उर्फ मार्क्स (26) और विवेक कुमार (26) को गिरफ्तार किए जाने की जानकारी राचकोडा पुलिस आयुक्त महेश मुरलीधर भागवत ने दी। दोनों आराेपीयाें को मुम्बई से गिरफ्तार किया गया। उनके खिलाफ आईपीसी की धारा 417, 419, 420, 504, 506, 384 और आईटी एक्ट की धारा 66 (डी) के तहत मामले दर्ज कर बैंक खाते में जमा 28 करोड़ रुपये की नगदी फ्रीज कर दी गयी। उन्हाेनें बताया कि इस मामले में हीरा नंदानी स्टेट ठाणे वेस्ट, मुम्बई निवासी व मूलत: जियांक्सी चीन के रहने वाले जियान और अजया सोल्यूशन्स प्राइवेट लिमिटेड और ईपोक गो क्रेडीट सोल्यूशन्स प्राइवेट लिमिटेड के अकाउंटेंट पाटलीपाड़ा जीबी रोड ठाणे वेस्ट, मुम्बई निवासी व मूलत: वाराणासी, उत्तर प्रदेश निवासी विवेक कुमार को गिरफ्तार किया
उनके पास से 4 लैपटॉप, 2 सेलफोन, 1 आई पैड, कम्प्यूटर सिस्टम वाईफाई रूटर, जियान का पासपोर्ट, चीन के सीआईटीआईसी बैंक का डेबिट कार्ड,बॉयनांस इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड, अजय सोल्यूशन्स व ईपोक गो क्रेडिट के तीन स्टैम्प पेपर जब्त किए। इसके पूर्व इस मामले में पुलिस ने जियालायंग इंफोटेक प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक पुणे निवासी परशुराम लाहू टाकवे (32) और उसकी पत्नी चीनी नागरिक लियांग टियान टियान (34), जियालियांग के एचआर मैनेजर हाकिब शेख को गिरफ्तार किया जा चुका है। इन आरोपियों के साथ मिलकर जियान और विवेक कुमार, अजय सोल्यूशन्स बॉयनेंस इंफॉर्मेशन, ईपोक गो क्रेडिट और ट्रथहाई फाइनटेक प्राइवेट लिमिटेड व अन्य कुछ कम्पनियों के जरिए इंस्टेंट ऑनलाइन लोन तैयार कर इसके जरिए भारी भरकम ब्याज दर पर ऋण जारी कर इसकी अदायगी के लिए लोगों को प्रताड़ित कर रहे है।
आरोपियों द्वारा क्रेजीबीन, क्रेजीरूपी, कैश प्लस, रूपीप्रो, गोल्ड बॉउल, फस्ट कैश, रियल रूपी, रूपी मोस्ट, रूपी बीयर, क्रेडिट रूपी, कूल कैश, मनिनाव, पॉकेट रूपी, रूपीडेक, कैशगु, कैश स्टॉर, कैशबॉउल, कैशकश, कूलरूपी, मनिरूपी, गोल्डीरूपी, मनि हेल्पर, आर-कैश, मनीबेल आदि ऑनलाइन ऐप तैयार किए गए। उन्होंने बताया कि इन ऑनलाइन लोन ऐप के जरिए आरोपी धोखाधड़ी की घटनाओं को अंजाम दे रहे है। इनकी गिरफ्तारी राचकोण्डा पुलिस उपायुक्त पी. यादगिरी व अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त डी. श्रीनिवास के नेतृत्व में साइबर अपराध पुलिस एसीपी, एस. हरिनाथ व इंस्पेक्टर बी. प्रकाश द्वारा तकनीकी सबूतों के आधार पर की गयी।