हैदराबाद में कादंबिनी क्लब की 339वीं मासिक गोष्ठी सम्पन्न

हैदराबाद, 20 अक्तूबर कादंबिनी क्लब, हैदराबाद के तत्वाधान में क्लब की 339वीं मासिक गोष्ठी का आयोजन ऑनलाइन किया गया। डॉ. अहिल्या मिश्रा (क्लब अध्यक्ष) एवं मीना मुथा (कार्यकारी संयोजिका) ने संयुक्त रूप से बताया कि गोष्ठी की अध्यक्षता डॉ.ऋषभदेव शर्मा ने की।शुभ्रा महंतो ने निराला रचित सरस्वती वंदना की प्रस्तुति दी। डॉ. अहिल्या मिश्रा ने स्वागत भाषण में कहा कि परंपरा अनुसार हम अब कुछ समय से कार्यक्रम का आयोजन नहीं कर पा रहे हैं, लेकिन आभासी तकनीक के माध्यम से गोष्ठी निरंतर प्रतिमाह आयोजित की जा रही है। गोष्ठी में देहरादून, कोलकाता, बेंगलुरू, दिल्ली से साहित्य प्रेमियों ने हिस्सा लिया। तत्पश्चात स्वर्गीय भीकमचंद पोकरणा को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। प्रथम सत्र का संचालन करते हुए प्रवीण प्रणव ने कहा कि राष्ट्रीय रचनाकार व पत्रकार प्रतिभा कटियार (देहरादून), रूसी कवयित्री मारीना स्वेतायेवा से हमें परिचित कराएँगी। प्रतिभा कटियार ने कहा कि न उन्हें रूसी आती है, न मारीन की रचनाओं का अधिक अनुवाद हुआ। प्रेम करना अलग और रिसर्च करना अलग है। उन्होंने कहा कि मारीना जरूरत से ज्यादा संवेदनशील थीं। विद्वान पिता में लुकाछिपी और शरारत करने वाला पिता कहीं छूट गया था। कम उम्र में कच्चा प्रेम विवाह में तब्दील हुआ। दो बेटियों की माँ मारीना ने भूख और विवशता की परिस्थितियों में भी कलम का साथ नहीं छोड़ा। उनके लिए लिखना ही जीवन था। आज के रचनाकार के पास काफी सहूलियतें हैं, पर मारीना ने विपरीत परिस्थितियों में पचियों का ढेर लगा दिया। वह हालातों को जीती और शब्दबद्ध करती थीं। प्रतिभा कटियार ने मारीना की डायरी के कुछ अंश प्रस्तुत किए।



अहिल्या मिश्रा ने रशियन रचनाकार का संक्षिप्त परिचय कराने के लिए प्रतिभा कटियार का आभार प्रकट किया। प्रवीण प्रणव ने कहा कि प्रतिभा कटियार ने उनकी कविताओं का अनुवाद कर एक संपूर्ण पैकेज हमें दिया है। अब निश्चित ही इसे पढ़ने की उत्सुकता बढ़ गई है। प्रतिभा कटियार ने अपनी एक रचना का काव्य पाठ भी किया । कवि गोष्ठी सत्र में उपस्थित रचनाकारों ने विभिन्न विषयों पर रचनाएँ प्रस्तत की। मिलन श्रीवास्तव, शिल्पी भटनागर,डॉरमा द्विवेदी, भावना पुरोहित,डॉ. सुरेश कुमार मिश्रा, जी. परमेश्वर, सरिता सुराणा जैन, प्रदीप देवीशरण भट्ट, अजय कुमार पांडे, विशेश्वर (राजस्थान), दर्शन सिंह, रवि वैद, गजानंद पांडे, सत्यनारायण काकड़ा, सुरेश चौधरी (कोलकाता) आशा मिश्रा 'मुक्ता', ज्योति नारायण, विनोदगिरि अनोखा, चंद्रप्रकाश दायमा, सुनीता लुल्ला, संतोष कुमार रजा, अवधेश कुमार सिन्हा (नई दिल्ली), ऊषा रानी राव (बेंगलुरू), सुभाष भटनागर, डॉ. अहिल्या मिश्रा, प्रवीण प्रणव, शुभ्रा महतो, मीना मूथा व अन्य ने काव्य पाठ किया। डॉ.ऋषभदेव शर्मा ने कहा कि लगभग 30-32 सदस्यों,रचनाकारों को उन्होंने सुना। कव्वाली की बात हो, लोरी हो, बालगीत हो, सामाजिक संदेश वाली बात हो, गीत, गजल, माता की स्तुति हो, सभी रचनाकारों को साधुवाद। कोई रचना शिल्प की दृष्टि से सशक्त है, तो कोई बिंब में सिद्धहस्त हो रहा है। सभी के चेहरे प्रफुल्लित हैं। डॉ. अहिल्या मिश्रा और टीम की यह विशेषता है कि मंच के माध्यम से नित नए रचनाकार और बेहतर लेखन कर रहे हैं। सरिता सुराणा ने संस्कृत भाषा के प्रकांड पंडित सुरेश चौधरी का संक्षिप्त परिचय दिया। अवधेश कुमार सिंह ने आभार व्यक्त किया।