आदिलाबाद 30 अक्टूबर, जिला कलेक्टर सिकता पटनायक ने कहा कि, किसानों की फसल काे गुलाबी किटकाें से होने वाले नुकसान और सावधानियों के बारे में जागरूक किया जाना चाहिए। शुक्रवार को कलेक्ट्रेट कॉन्फ्रेंस हॉल में वैज्ञानिकों ने कृषि अधिकारियों और कृषि विस्तार अधिकारियों को जागरूकता, सलाह और सुझाव प्रदान किए। इस अवसर पर कलेक्टर ने कहा कि, जिले में कपास की फसल पर गुलाबी किटकाें से फसल को नुकसान होगा और किसानों को उन रसायनों के बारे किटकाें से जागरूक किया जाना चाहिए जिन्हें नुकसान से बचाने के लिए वैज्ञानिक रूप से उपयोग करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि कृषि विस्तार अधिकारियों को किसानों को यह समझाना और आश्वस्त करना चाहिए कि वैज्ञानिकों को नुकसान से कैसे निपटना चाहिए और क्या एहतियाती उपाय करने चाहिए। तकनीकी सलाह और सुझाव किसानों को समय पर उठाए जाने वाले कदमों के बारे में बताया जाना चाहिए। विशेष रूप से छोटे किसानों को साहस की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि, कृषि विस्तार अधिकारियों को क्लस्टर-वार नियुक्त किया गया है, जो संयुक्त रूप से अपने क्षेत्र के किसानों को फसल विवरण के बारे में सूचित करें। कपास की खरीद शुरू करने के मद्देनजर यह सुझाव दिया गया कि, किसानों को कपास की बिक्री के लिए कूपन दो दिन पहले गांवों में जारी किए जाएं।
उन्होंने कहा कि, किसानों को क्रय केंद्रों पर ले जाने से पहले कपास को सुखाने के महत्व से अवगत कराया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि, आदिवासी क्षेत्रों में गैर-आदिवासी फसलों की खेती करने वाले किसानों का विवरण एकत्र किया जाना चाहिए। ठेकेदारों को अगले सप्ताह तक जिले में शेष कृषि प्लेटफार्मों के निर्माण को पूरा करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। अपर कलेक्टर जी. संध्यारानी ने कहा कि, किसानों को गुलाबी किटकाें के नुकसान से बचने के लिए बरती जाने वाली सावधानियों पर सलाह दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि कपास की फसल के नुकसान का ब्योरा वैज्ञानिक रूप से एकत्र किया जाना चाहिए। यह सुझाव दिया गया है कि इन किटकाें के कारण फसल के नुकसान के जोखिम के मद्देनजर वैकल्पिक उपयुक्त मूंगफली की फसल का प्रस्ताव किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि, हर किसान को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए और कृषि विभाग को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वह किसानों के कल्याण के लिए काम करे। जोनल एक्सटेंशन के अधिकारियों को किसानों को उनके समूहों में मिलने की सलाह दी ।
उन्होंने कहा कि, जिले में सीसीआई द्वारा 10 क्रय केंद्र स्थापित किए गए हैं और 28 स्पीनींग मिलों की पहचान की गई है। गांवों में किसानों को कपास की फसल खरीद केंद्रों पर ले जाने के लिए कूपन सौंपना चाहिए और गांव के किसानों को इस बात की जानकारी देनी चाहिए कि वे किस तारीख को इसे खरीद केंद्रों तक ले जाएं। उन्होंने कहा कि, आदिवासी क्षेत्रों में आदिवासी किसान बोरियों में कपास भर कर उसे बिचौलियों को कम कीमत पर बेच रहे है, उन्होंने कहा कि सीसीआई को सलाह दी कि, वे ऐसी घटनाओं को रोकें और खरीद केंद्रों पर भेजे। उन्होंने यह भी कहा कि, गादीगुड़ा और नारनुर जैसे दूरदराज के आदिवासी क्षेत्रों में किसानों को गुलाब किटकाें के खिलाफ बरती जाने वाली सावधानियों के बारे में बताया जाना चाहिए। वैज्ञानिकों को सलाह दी जाती है कि वे दूरदराज के इलाकों का दौरा करें और किसानों को फसल के नुकसान से बचाने के लिए उचित सावधानी बताएं। वैज्ञानिक प्रवीण कुमार और राजशेखर ने कृषि विस्तार अधिकारियों को फसल क्षति, सावधानी बरतने और निवारक उपायों के बारे में जानकारी दी। बैठक में जिला कृषि अधिकारी वेंकटी, कृषि अधिकारी, कृषि विस्तार अधिकारी, वैज्ञानिक और अन्य लोग उपस्थित थे।