- लॉकडाउन - हैदराबाद के चूड़ी उद्योग
- पर असर, काम बंद होने से परेशान मजदूर
हैदराबाद Apr 05: हैदराबाद का जैसे ही नाम आता है तो सबसे पहले तस्वीर सामने आती है चारमीनार की। इसके बाद आती है हैदराबाद की चूड़ियां। जी हां, जो भी चारमीनार जाता है वह लाड़बाजार में लाख की रंग-बिरंगी चूड़ियां जरूर लेता है। इन चूड़ियों की मांग बहुत ज्यादा है वहीं दूसरी ओर इन चूड़ियों को बनाकर कई मजदूर अपना पेट भी भरते हैं। वहीं जबसे कोरोना वायरस के चलते शहर में लॉकडाउन लगा है पुराने शहर के ये चूड़ी बनाने वाले मजदूर भूखे मरने पर मजबूर हो गए हैं क्योंकि चूड़ी उद्योग बंद जो हो गया है। पिछले दस दिनों से इनके पास कोई काम नहीं है। पुराने शहर के कई इलाके जैसे अमननगर, तालाबकट्टा, शमनगर, सिद्दीकीनगर और सुल्तान शाही जैसे क्षेत्रों में कई घर दिन में चूड़ी बनाने वाले कारखाने और फिर रात में घरों में तब्दील हो जाते हैं। लाड बाज़ार के व्यवसायी इन परिवारों को ऑर्डर देते हैं और फिर ये लोग अपने घरों में चमचमाती लाख की चूड़ियाँ बनाते हैं। ऑर्डर देते समय व्यवसायी उन्हें धातु की चूड़ियाँ और लाख उपलब्ध कराते हैं। हालांकि लॉकडाउन के बाद से वहीं कई स्वैच्छिक संगठन और स्थानीय अधिकारी लॉकडाउन के दौरान इन गरीब परिवारों को सहायता प्रदान कर रहे हैं और उन्हें राशन आपूर्ति और भोजन देने में मदद भी कर रहे हैं।
लाड़ बाज़ार में चूड़ी की दुकान चलाने वाले का कहना है कि लॉकडाउन अवधि की अनिश्चितता उन्हें चूड़ी निर्माताओं को काम देने से रोक रही है। आम तौर पर रमजान के महीने तक हम परिवारों को आर्डर देते हैं क्योंकि इस महीने के बाद हजारों शादियां होती हैं लेकिन लॉकडाउन अवधि की अनिश्चितता के कारण हम कोई निर्णय नहीं ले पा रहे हैं। यदि हम आर्डर देते हैं तो हमें इन मजदूरों के पैसे का भुगतान भी करना होगा। वर्तमान में हमारे पास पैसा नहीं है क्योंकि बिजनेस नहीं चल रहा है। अगर हम आर्डर देते हैं और चूड़ियों का स्टॉक करते हैं तो कोई गारंटी नहीं है कि लॉकडाउन हटने के बाद व्यापार सुचारू रूप से चलेगा।तो इस तरह से दे़खने पर पता चलता है कि लॉकडाउन का असर चूड़ी व्यवसाय पर पड़ा है और फिलहाल तो यह अपनी चमक खोता नजर आ रहा है।