योग - पुरुषों में बाँझपन से मुक्ति का स्वदेशी मार्ग



    1. योग - पुरुषों में बाँझपन से मुक्ति का स्वदेशी मार्ग

    2. जीवों की आनुवंशिक प्रणाली पर्यावरणीय कारकों द्वारा बृहत रूप से प्रभावित और नियमित होती है। डीएनए अनुक्रम से भिन्न, जिसके साथ एक व्यक्ति जन्म लेता है, उस पर पर्यावरण के प्रभावों की अनुक्रिया में स्वदेशी परिवर्तन गतिशील और प्रतिवर्ती होता है । अस्वस्थ जीवनशैली और सामाजिक आदतों से भी शुक्राणुओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता हैं, जिसके परिणामस्वरूप हाल के वर्षों में पुरुष की प्रजनन क्षमता में कमी आई हैहैदराबाद स्थित सीसीएमबी और दिल्ली स्थित एम्स के सह्योगात्मक प्रयासों ने यह सिद्ध किया है कि योग के पारंपरिक अभ्यास से शुक्राणु की गुणवत्ता पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है और इन लाभकारी प्रभावों की शुक्राणु में एपिजेनेटिक परिवर्तन, डीएनए मिथाईलेशन के साथ सहसंबद्ध किया जाता है। योग आधारित जीवनशैली (YBLI) अपनाने से तेजी से बदलती चिकित्सा प्रणाली में सहायक हो रहे हैं। एंड्रोलॉजिया जर्नल में प्रकाशित इस प्रारंभिक अध्ययन से योग के अभ्यास के बाद, शुक्राणु की गतिविधियों में सुधार के साथ सेमिनल ऑक्सीडेटिव तनाव में कमी का प्रदर्शन करने वाले बांझपन में योग आधारित जीवनशैली के प्रयोग के प्रभाव का पहला सार्थक विश्लेषण दिखलाया गया है। योग आधारित जीवनशैली के प्रयोग (YBLI) के इस शोध में 21 दिनों तक प्रतिदिन 1 घंटा शारीरिक क्रियाएँ गतिविधियाँ और आसन, श्वास क्रियाएँ (प्राणायाम) और ध्यान का अभ्यास शामिल है। इस शोध के लिए नामित रोगियों में शुक्राणु की क्रियाशीलता में सुधार हुआ है। अत्याधुनिक डीएनए अनुक्रमण विश्लेषण अध्ययन का उपयोग करते हुए योग चिकित्सकों ने शुक्राणु मिथाईलोम (रासायनिक परिवर्तन का स्वरूप जिसे डीएनए मिथाईलेशन कहा जाता है) को दुबारा से कर के बताया है। मिथाइलोम, जिसे जीन के समतुल्य सबंध को सीधे नियंत्रित करने के लिए जाना जाता है, इस मामले में लगभग 400 जीनों में परिवर्तन पाया गया है, जिनमें कई ऐसे जीन शामिल हैं, जो पुरुष प्रजनन क्षमता, शुक्राणुजनन और भ्रूण प्रत्यारोपण में अहम् भूमिका निभाते हैं। "इस अध्ययन में एपिजेनेटिक दृष्टिकोण का उपयोग करके पहचाने गए जीन आगे की जाँच के लिए उपयोगी होंगे। सीसीएमबी के निदेशक डॉ. राकेश मिश्र, ने कहा है - “शुरूआती प्रयोग कम लोगों पर किया गया था, अब बड़े स्तर पर योग आधारित जीवनशैली का प्रयोग पुरुष बांझपन के लिए के प्रभाव पर आगामी शोध के लिए आवश्यक सिद्ध होगा।”

    3. इस प्रारंभिक शोध में बताया गया है, की प्रथम चरण के पुरुष बांझपन के रोगियों द्वारा योगआधारित जीवन शैली अपनाने पर शुक्राणु मिथाइलम में परिवर्तन होता है। शिल्पा बी, सोफिया बानू, सुरभि श्रीवास्तव, रश्मि उपाध्याय पाठक, राजीव कुमार, रीमा डाडा, राकेश कु. मिश्र एन्ड्रोलॉजिया ।