देश में दुष्कर्म के मामले प्रतिदिन सामने आ रहे हैं। प्रश्न यह है कि इस समस्या का मूल कारण क्या है और किस तरह इसे रोका जा सकता है? कुछ लोग मानते हैं कि कड़ा कानून बनाकर दुष्कर्म पर अंकुश लगाया जा सकता है तो कुछ का मानना है कि दुष्कर्मियों को गोली मार देना इसका उपाय है, लेकिन विचार करें तो वास्तव में इन सब बातों में अज्ञान आधारित भावुकता ही अधिक है, ठोस समाधान नहीं। देश में दुष्कर्म को लेकर पहले से ही बहुत सख्त कानून मौजूद है, उसे और कितना भी सख्त कर लिया जाए, वह दुष्कर्म को रोकने में बहुत अधिक कारगर नहीं हो सकता। कारण यह कि दुष्कर्म चोरी-तस्करी जैसा कोई पेशेवर अपराध नहीं है, बल्कि यौन कुंठाओं और मानसिक विकृति से अभिप्रेरित एक बर्बर आपराधिक कृत्य है।
अब प्रश्न यह उठता है कि फिर दुष्कर्म को रोकने का उपाय क्या है? इस पर अंकुश के लिए आवश्यक है कि लोगों में यौन कुंठा और विकृति पैदा करने वाले कारकों पर लगाम लगाई जाए जिनमें एक प्रमुख कारक है-पॉर्न। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी प्रधानमंत्रीको पत्र लिखकर केंद्र सरकार से सभी पॉर्न वेबसाइटों पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है। हालांकि बीते दिनों केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने संसद में एक सवाल का जवाब देते हुए बताया कि सरकार ने तीन सौ के करीब चाइल्ड पॉर्न की वेबसाइटों को प्रतिबंधित किया है। यह अच्छा है कि अब दुष्कर्म के पीछे पॉर्न को जिम्मेदार मानकर बहस होने लगी है, लेकिन यह समस्या सिर्फ इसकी वेबसाइटों तक सीमित नहीं है, बल्कि टीवी, सिनेमा जैसे मनोरंजन के क्षेत्रों को भी इसने अपनी चपेट में ले लिया है।